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हमारे बारे में

जो भी हो ! उसे स्वीकार करें। यही विज्ञान है। फिर चाहे ईश्वर का अस्तित्व हो या न हो। यदि ईश्वर का अस्तित्व है तो वह भौतिकी का हिस्सा है। और यदि वह भौतिकी का हिस्सा नही है तो उसका अस्तित्व भी नहीं है। आप ऐसा कदापि नहीं कह सकते कि हमने भी तो यही कहा था। क्योंकि जहाँ एक तरफ विज्ञान और दर्शन में फ़र्क है वहीं दूसरी तरफ धर्म और विज्ञान में भेद है। हमें विज्ञान और दर्शन के फ़र्क को समझना होगा। हमें धर्म और विज्ञान के भेद को जानना होगा। तभी हम आपसी मतभेदों को मिटा सकते हैं। यदि हम ऐसा चाहते हैं तो...

आधारभूत ब्रह्माण्ड संकल्पना की शुरुआत अवयवी धरातल को जानने की इच्छा के साथ शुरू हुई। इसके साथ ही साथ हमें यह जानना भी जरुरी हो गया था कि कौन-कौन से बाह्य घटक हस्तक्षेप करते या कर सकते हैं। तत्पश्चात हमने अपनी संकल्पना में अनंत धरातल की शर्तों को शामिल किया। यह संकल्पना इस शर्त पर टिकी हुई है कि आधारभूत ब्रह्माण्ड में शामिल होने के लिए ऐसा कुछ भी शेष नही रह जाता है, जो भौतिकता के गुणों को दर्शाता हो। आज हम आधारभूत ब्रह्माण्ड को गणितीय भौतिक संरचना के रूप में जानते हैं।